8th Pay Commission – सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बार फिर बड़ी खुशखबरी आ रही है। अगर आप भी केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं या रिटायर्ड होकर पेंशन पा रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। दरअसल, 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) अब सिर्फ अफवाह नहीं बल्कि हकीकत की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में हुई SCOVA की 34वीं बैठक में कई बड़े मुद्दों पर चर्चा हुई है और सबसे अहम मुद्दा जो उभरा है, वह है फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस (Fixed Medical Allowance) को लेकर।
अब जो खबर सामने आ रही है, उसके मुताबिक फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस को ₹1000 से बढ़ाकर ₹3000 प्रति महीना करने की सिफारिश की गई है। यानी तीन गुना की सीधी बढ़ोतरी! तो आइए, जानते हैं कि ये क्या है, क्यों जरूरी है और 8वें वेतन आयोग से आम कर्मचारियों को क्या-क्या मिलने वाला है।
क्या है फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस?
सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद जो मेडिकल भत्ता मिलता है, उसे फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस कहा जाता है। यह उन पेंशनर्स को दिया जाता है जो CGHS (Central Govt Health Scheme) या किसी भी सरकारी अस्पताल से इलाज नहीं कराते, बल्कि खुद की जेब से मेडिकल खर्च उठाते हैं।
इस समय ये अलाउंस ₹1000 प्रति महीना है और आखिरी बार इसे 2014 में रिवाइज किया गया था। अब सोचिए, तब से लेकर आज तक दवाइयों की कीमतें, डॉक्टर की फीस, टेस्ट और बाकी इलाज कितने महंगे हो चुके हैं। लेकिन ये अलाउंस वहीं का वहीं अटका हुआ है। इसी वजह से पेंशनर्स की लंबे समय से मांग थी कि इसे बढ़ाया जाए।
SCOVA मीटिंग में क्या हुआ खास?
हाल ही में हुई SCOVA (Standing Committee of Voluntary Agencies) की बैठक में यह मुद्दा फिर जोर-शोर से उठाया गया। खुद केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की और कर्मचारियों के कई सुझावों पर विस्तार से चर्चा की गई।
सबसे बड़ी बात यह रही कि इस बैठक में फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस को तीन गुना करने का प्रस्ताव पास हुआ और वित्त विभाग ने भी इस पर सहमति जता दी है। अब इस प्रस्ताव को 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में शामिल किया जा सकता है।
क्यों जरूरी है FMA (Fixed Medical Allowance) में बढ़ोतरी?
- मेडिकल खर्च बहुत बढ़ चुका है: पिछले 10 सालों में इलाज की लागत लगभग दोगुनी हो गई है। ऐसे में ₹1000 महीना काफी नहीं है।
- दूर-दराज के इलाकों में CGHS की सुविधा नहीं: कई पेंशनर्स छोटे शहरों या गांवों में रहते हैं, जहां सरकारी अस्पताल की सुविधा नहीं है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की महंगाई: आज की तारीख में सिर्फ एक सामान्य चेकअप और दवाइयां लेने में ही ₹1500-₹2000 खर्च हो जाते हैं।
- बुजुर्ग पेंशनर्स पर ज्यादा असर: रिटायर्ड लोगों की उम्र ज़्यादा होती है, जिससे उन्हें नियमित इलाज की ज़रूरत पड़ती है।
8वें वेतन आयोग की बड़ी बातें
8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं और माना जा रहा है कि यह 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी इसकी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस आयोग में सिर्फ वेतन वृद्धि ही नहीं बल्कि भत्तों, पेंशन और ग्रेच्युटी जैसी चीजों पर भी नजर डाली जाएगी।
संयुक्त कर्मचारी परिषद के महामंत्री आर. के. वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस को तीन गुना करना कर्मचारियों की प्राथमिक मांगों में से एक है।
कर्मचारियों और पेंशनर्स को क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं?
- फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस ₹3000 महीना हो सकता है।
- महंगाई भत्ता (DA) में भी इजाफा होगा।
- बेसिक पे में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
- पेंशन फॉर्मूला में बदलाव करके इसे ज्यादा फायदेमंद बनाने की योजना है।
- रिटायरमेंट बेनिफिट्स में भी नई चीजें जुड़ सकती हैं।
सरकार पर क्या दबाव है?
सरकारी कर्मचारियों की यूनियनें पहले से ही सरकार पर दबाव बना रही हैं कि 8वें वेतन आयोग की घोषणा जल्द की जाए। 7वें वेतन आयोग को लागू हुए लगभग 9 साल हो चुके होंगे 2026 में, इसलिए अब समय आ गया है कि कर्मचारियों को एक बार फिर राहत दी जाए।
इसके अलावा राज्य सरकारों पर भी दबाव बढ़ेगा क्योंकि कई राज्य केंद्र के वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करते हैं।
अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं या पेंशनर्स की लिस्ट में आते हैं, तो आने वाले समय में आपके लिए खुशखबरी की भरमार हो सकती है। फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस में तीन गुना बढ़ोतरी से लेकर 8वें वेतन आयोग के लागू होने तक – सरकार कई मोर्चों पर तैयारियां कर रही है।
अब देखना ये है कि सरकार कब तक इसे आधिकारिक रूप से घोषित करती है। लेकिन इतना तय है कि इस बार फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस ₹3000 करने की सिफारिश का रास्ता लगभग साफ हो चुका है।