8th Pay Commission – देशभर के करीब 1.2 करोड़ सरकारी कर्मचारियों के लिए आठवां वेतन आयोग किसी वरदान से कम नहीं होने वाला है। अब तक सिर्फ सैलरी बढ़ोतरी की चर्चा होती रही है, लेकिन अब इसमें कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई से जुड़े कई बड़े बदलाव भी शामिल हो सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार सिर्फ वेतन नहीं बढ़ेगा बल्कि बीमा कवर में भी बड़ा इजाफा देखने को मिलेगा। इससे न सिर्फ कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी बल्कि उनके परिवारों की सुरक्षा भी और मजबूत हो जाएगी।
महंगाई के इस दौर में दोहरी राहत
महंगाई लगातार बढ़ रही है और लोगों के लिए रोजमर्रा की ज़िंदगी का खर्चा उठाना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में अगर सरकार वेतन के साथ बीमा कवर भी बढ़ा देती है, तो यह सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की बात होगी। यह बदलाव न सिर्फ उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाएगा बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी सुरक्षित महसूस कराएगा। आखिरकार जब परिवार सुरक्षित हो, तब काम पर फोकस करना और भी आसान हो जाता है।
CGEGIS में बीमा कवर की मौजूदा स्थिति
फिलहाल केंद्र सरकार के कर्मचारियों को जो बीमा सुरक्षा मिलती है, वह बेहद कम है। उदाहरण के लिए, ग्रुप A के कर्मचारियों को सिर्फ 1,20,000 रुपये का बीमा कवर मिलता है, जबकि अन्य ग्रुप के कर्मचारियों को इससे भी कम राशि दी जाती है। अब सोचिए, आज के जमाने में जब एक सामान्य बीमा पॉलिसी भी 5-10 लाख रुपये की होती है, तो एक सरकारी कर्मचारी के लिए इतनी छोटी रकम कितनी मददगार हो सकती है? यही कारण है कि सरकार अब इसे लेकर गंभीर है और बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है।
CGEGIS की शुरुआत और बदलावों की कहानी
यह योजना 1 जनवरी 1982 को शुरू की गई थी और इसका मकसद था कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा और रिटायरमेंट के समय कुछ आर्थिक सहारा देना। उस समय तो जो बीमा कवर मिलता था, वह उस दौर के हिसाब से ठीक था। जैसे कि ग्रुप A के कर्मचारी 80 रुपये मासिक अंशदान में 80 हजार का कवर पाते थे, जबकि बाकी ग्रुप के लिए यह राशि कम होती थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, महंगाई बढ़ी, खर्चे बढ़े, वैसे-वैसे यह रकम काफी कम लगने लगी।
1990 में हुआ पहला बड़ा बदलाव
1990 में इस योजना में पहली बार बड़ा बदलाव देखने को मिला। बीमा कवर और अंशदान दोनों में बढ़ोतरी की गई। ग्रुप A का कवर 80 हजार से बढ़ाकर 1.2 लाख कर दिया गया और अंशदान 120 रुपये कर दिया गया। इसी तरह ग्रुप B, C और D के लिए भी इसी अनुपात में बढ़ोतरी हुई। हालांकि तब से अब तक इसमें कोई बड़ा अपडेट नहीं हुआ है, जबकि जरूरतें और जोखिम दोनों ही काफी बढ़ चुके हैं।
8वें वेतन आयोग में हो सकता है बड़ा बदलाव
अब जो खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक सरकार CGEGIS को पूरी तरह से रिवाइज करने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित योजना के तहत बीमा कवर को 15 लाख रुपये तक किया जा सकता है। सोचिए, अगर ऐसा होता है तो यह कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं होगा। आज के समय में इलाज से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक हर चीज महंगी हो गई है, ऐसे में एक मजबूत बीमा सुरक्षा काफी जरूरी हो जाती है।
हालांकि इसका मतलब ये भी है कि कर्मचारियों को हर महीने थोड़ा ज्यादा अंशदान देना पड़ सकता है। लेकिन अगर सैलरी भी बढ़ती है तो यह बोझ महसूस नहीं होगा। सरकार की कोशिश यही है कि योजना टिकाऊ भी रहे और कर्मचारियों को पूरी सुरक्षा भी मिले।
7वें वेतन आयोग की अधूरी सिफारिशें
सातवें वेतन आयोग ने भी बीमा कवर बढ़ाने की सिफारिश की थी, जिसमें 15 लाख से 50 लाख तक के कवर के ऑप्शन थे। लेकिन उसमें मासिक अंशदान 1,500 रुपये से 5,000 रुपये तक सुझाए गए थे, जो ज्यादातर कर्मचारियों को ज्यादा लगे और उन्होंने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। खासकर ग्रुप C और D के लिए 1,500 रुपये भी बड़ी रकम थी। कर्मचारियों की मांग थी कि सरकार खुद इस योजना में ज्यादा योगदान दे ताकि उन पर बोझ न बढ़े।
भविष्य की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी
अब जब आठवां वेतन आयोग आने वाला है, तो कर्मचारियों को इससे काफी उम्मीदें हैं। सिर्फ वेतन ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षा जैसी मूलभूत चीजें भी इससे जुड़ी हैं। अगर सरकार 15 लाख का बीमा कवर लागू करती है, तो यह वास्तव में एक बड़ा और सकारात्मक कदम होगा। कर्मचारी संगठन भी इस दिशा में दबाव बना रहे हैं कि अंशदान में वृद्धि सीमित रखी जाए और सरकार खुद इसमें ज्यादा हिस्सा डाले। सरकार के लिए यह एक संतुलन बनाने की चुनौती है, लेकिन अगर वह इसे सही से लागू करती है तो सरकारी सेवा का आकर्षण और बढ़ सकता है।
Disclaimer
यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स और संभावित अनुमानों पर आधारित है। आठवें वेतन आयोग का औपचारिक गठन अभी तक नहीं हुआ है और न ही सरकार की ओर से किसी तरह की आधिकारिक घोषणा की गई है। बीमा कवर और अंशदान में होने वाले बदलाव केंद्र सरकार के अंतिम निर्णय पर निर्भर करते हैं। किसी भी प्रकार की पक्की जानकारी के लिए आधिकारिक सरकारी अधिसूचना का इंतजार करें।